आफ़तें क्या कम करेंगी मेरे फ़नपारों की आँच

आफ़तें क्या कम करेंगी मेरे फ़नपारों की आँच आँधियाँ अक्सर बढ़ा देती हैं अंगारों की आँच   सोने-चाँदी की क़लम हाथों में जब से आ गई तब से होती जा रही है कम क़लमकारों की आँच   ज्वारभाटा, कान तो भरता है पर सुनता नहीं ये समुन्दर जानता है तट के मछुआरों की आँच   … Continue reading आफ़तें क्या कम करेंगी मेरे फ़नपारों की आँच